- जिस पर लम्बी – लम्बी धारियाँ हों :- धारीदार
- जिस समय बड़ी मुश्किल से भिक्षा मिलती है :- दुर्भिक्ष
- जिस पर दिनांक तारीख का अंक लगाया गया हो :- दिनांकित
- जिस पर किसी प्रकार का अंकुश नियंत्रण न हो :- निरंकुश
- जिस स्थान पर अभिनेता अपना वेश – विन्यास करते हैं :- नेपथ्य
- जिस स्थान पर बैठकर माल खरीदा और बेचा जाता हो :- फड़
- जिस कागज पर मानचित्र, विवरण या कोष्ठक अंकित हो :- फलक
- जिस पर विश्वास न किया जा सके :- विश्वासघाती
- जिस पर विश्वास किया गया है :- विश्वस्त
- जिस स्त्री का पति जीवित हो :- सधवा
- जिसे क्षमा न किया जा सके :- अक्षम्य
- जिसे दंड का भय न हो :- उदंड
- जिसे गुप्त रखा जाए :- गोपनीय
- जिसे दस आनन मुख हैं :- दशानन रावण
- जिसे बहुत कम ज्ञान हो, थोड़ा जानने वाला :- अल्पज
- जिसे दंड का भय न हो :- उदंड
- जिस भूमि पर कुछ न उग सके :- ऊसर
- जिसे भय नहीं है :- निर्भीक, निर्भय
- जिसे नहीं जीता जा सके :- अजेय
- जिसे या जिसका मूल नहीं है :- निर्मूल
- जिसे जानना चाहिए :- ज्ञातव्य
- जिसे पढ़ा न जा सके :- अपाठ्य
- जिसे भेदा तोड़ा न जा सके :- अभेद्य
- जिसे आश्वासन दिया गया हो :- आश्वस्त
- जिसे वाह्य जगत का ज्ञान न हो :- कुपमण्डूक
- जिसे त्याग देना उचित हो :- त्याज्य
- जिसे क्रय किया गया हो :- क्रीत
- जिसे समझना बहुत कठिन हो :- दुष्कर
- जिसे भेदना या तोड़ना कठिन हो :- दुर्भेद्य
- जिसे देश से निकाला गया हो :- निर्वासित
- जिसे कोई भ्रम या सन्देह न हो :- निर्भ्रन्त
- जिसे कोई आकांक्षा न हो :- निःस्पृह
- जिसे मोक्ष की कामना हो :- मुमुक्षु
- जिसे देख या सुनकर रोम रोंगटे खड़े हो जायें :- रोमांचकारी
- जिसे सरलता से पढ़ा जा सके :- सुपाठ्य
- जिसे सताया गया हो :- दलित जहाँ पहुँचा न जा सके :- अगम्य
- जहाँ पहुँचना कठिन हो :- दुर्गम
- जहाँ लोगों का मिलन हो :- सम्मेलन
- जहाँ नदियों का मिलन हो :- संगम
- जन्म भर :- आजन्म
- जहाँ जाना संभव न हो :- अगम
- जहाँ तक सध सके :- यथासाध्य
- जहाँ खाना मुफ्त मिलता है :- सदाव्रत
- जहाँ गमन जाया न किया जा सके :- अगम्य
- जहाँ तक हो सके :- यथासंभव
- जहाँ तक सध सके :- यथासाध्य
- जहाँ औषधि दानस्वरूप मिलती है :- दातव्य, औषधालय
- जीने की इच्छा :- जिजीविषा
- जल में जन्म लेने वाला :- जलज
- जल में रहने वाले जीव – जन्तु :- जलचर
- जान से मारने की इच्छा :- जिघांसा
- जीतने की इच्छा :- जिगीषा
- जोतने का काम :- जुताई
- जेठ का पुत्र :- जेठौत
- जनता द्वारा संचालित शासन :- जनतन्त्र
- जन्म से सौ वर्ष का समय :- जन्मशती
- जमी हुई गाढ़ी चीज की मोटी तह :- थक्का
- जल में लगने वाली आग :- बड़वाग्नि
- जिनकी ग्रीवा गर्दन सुन्दर हो :- सुग्रीव
- जैसा चाहिए वैसा :- यथोचित
- युद्ध की इच्छा रखने वाला :- युयुत्सा
- यथार्थ सच कहनेवाला :- यथार्थवादी
- जीतने की इच्छा :- जिगीषा
- जारी किया गया आधिकारिक आदेश :- अध्यादेश
- जुआ खेलने का स्थान :- फड़
- जनता में प्रचलित सुनी :- सुनाई बात :- किंवदंती
- जानने की इच्छा रखने वाला :- जिज्ञासु
- जनता द्वारा चलाया जाने वाला राज :- जनतंत्र
- जबरन नरक में धकेलना या बेगार :- आजू
- जल में जनमनेवाला :- जलज
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- झूठ बोलने वाला :- झूठा
- झमेला करनेवाला :- झमेलिया
- झूठा मुकदमा :- अभ्याख्यान
- झीं – झीं की तेज आवाज करने वाला कीड़ा :- झींगुर
- तत्त्त्तव को जानने वाला :- तत्त्त्तवज्ञ
- तप करने वाला :- तपस्वी
- तेज बुद्धिवाा :- कुशाग्रबुद्धि
- तीनों लोकों का स्वामी :- त्रिलोकी
- तेजवाला :- तेजस्वी
- तीन कालों की बात जानने वाला :- त्रिकालज्ञ
- तीन युगों में होने वाला :- त्रियुगी
- तीन नदियों का संगम :- त्रिवेणी
- तीन लोको का समूह :- त्रिलोक
- तैरने की इच्छा :- तितीर्षा
- तर्क के द्वारा जो माना गया हो :- तर्कसंगत
- तीन वेदों को जाननेवाला :- त्रिवेदी
- तीन कालों को देखने वाला :- त्रिकालदर्शी
- तीन माह में एक बार होने वाला :- त्रैमासिक
- तर्क के द्वारा जो सम्मत माना जा चुका है :- तर्कसम्मत
- तमो गुण का :- तामसिक
- तीन प्रहरों वाली रात :- त्रियामा
- तिनकों से बना घर :- उटज
- तट का जो भाग जल के भीतर हो :- अन्तरीप
- तेज गति से चलने वाला :- द्रुतगामी/तीव्रगामी
- दूर की सोचने वाला :- दूरदर्शी
- दुसरे देश से अपने देश में समान आना :- आयात
- दूसरों की बातों में दखल देना :- हस्तक्षेप
- दिल से होने वाला :- हार्दिक
- दया करने वाला :- दयालु
- दूसरों के दोष को खोजने वाला :- छिद्रान्वेसी
- दूसरे के पीछे चलने वाला :- अनुचर
- दुखांत नाटक :- त्रासदी
- दर्द से भरा हुआ :- दर्दनाक
- देखने योग्य :- दर्शनीय
- दो बार जन्म लेनेवाला :- द्विज
- दुःख देनेवाला :- दुःखद
- दर्शन के योग्य :- दर्शनीय
- दिन पर दिन :- दिनानुदिन
- द्रुपद की पुत्री :- द्रौपदी
- देखने योग्य :- दर्शनीय
- द्रुत गमन करनेवाला :- द्रुतगामी
- दाव जंगल का अनल आग :- दावानल
- दूसरों के गुणों में दोष ढूँढने की वृति का न होना :- अनसूया
- दोपहर के बाद का समय :- अपराह
- देश के लिए अपने प्राण देने वाला :- शहीद
- द्वार या आँगन के फर्श पर रंगों से चित्र बनाने या चौक पूरने की कला :- अल्पना
- दूसरे के हित में अपने आप को संकट में डालना :- आत्मोत्सर्ग
- दूसरों के दोषों को खोजना :- छिद्रान्वेषण
- दूसरों के दोषों को ढूँढने वाला :- छिद्रान्वेषी
- दिन रात ठाढ़े खड़े रहने वाले साधु :- ठाढ़ेश्वरी
- दस वर्षो का समय :- दशक
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
- दिन पर दिन :- दिनोंदिन
- दो बार जन्म लेने वाला :- द्विज
- देने की इच्छा :- दित्सा
- दैव या प्रारब्ध सम्बन्धी बातें जानने वाला :- देवज्ञ
- दिन के समय अपने प्रिय से मिलने जाने वाली नायिका :- दिवाभिसारिका
- दशरथ का पुत्र :- दशरथि
- देखने की इच्छा :- दिदृक्ष
- दण्ड दिये जाने योग्य :- दण्डनीय
- दो भाषायें बोलने वाला :- द्विभाषी
- दो वेदों को जाननेवाला :- द्विवेदी
- देवताओं पर चढ़ाने हेतु बनाया गया दही, घी, जल, चीनी, और शहद का मिश्रण :- मधुपर्क
- दूसरे के स्थान पर काम करने वाला :- स्थानापन्न
- दोपहर के बाद का समय :- अपराह्नन
- दैहिक, दैविक व भौतिक ताप या कष्ट :- त्रिताप
- दीवार पर बने हुए चित्र :- भित्तिचित्र
- दूसरे के मन की बात जाननेवाला :- अन्तर्यामी
- दूसरे के अन्दर की गहराई ताड़नेवाला :- अन्तर्दर्शी
- दूध पिलाने वाली धाय :- अन्ना
- देह का दाहिना भाग :- अपसव्य
- दर्पण जड़ी अँगूठी, जिसे स्त्रियाँ अँगूठे में पहनती हैं :- आरसी
- दो दिशाओं के बीच की दिशा :- उपदिशा
- दो बातों या कामों में से एक :- वैकल्पिक
- दूर से मन को आकर्षित करने वाली गंध :- निर्हारी
- दुःख, भय आदि के कारण उत्पत्र ध्वनि :- काकु
- द्वीप में जनमा :- द्वैपायन
- दक्षिण दिशा :- अवाची
- दो या तीन बार कहना :- आम्रेडित
- दागकर छोड़ा गया साँड़ :- अंकिल
- दूसरे के हाथ में गया हुआ :- हस्तान्तरित